क्यों उदास यूँ ;
अकेले बैठा है तू ?
खुद से ही ;
क्या रूठा है तू ?
के गिरना तो ;
सफर का ही हिस्सा है ।
तेरे सफर का ;
यह भी तो एक किस्सा है ।
तेरे सफर में ,
ऐसे कई और किस्से होने ;
अभी बाकी हैं, शायद ।
इन किस्सों में भी ;
कोई सीख छुपी, है शायद ।
चल अब उठ !
कदमों को अपने;
मिलाकर तू चल ।
कदम संभाल कर ही सही ;
मंज़िल की ओर;
कदमों को अपने ;
तू बढ़ाते चल, बढ़ाते चल ;
तू चल ।
अब यूँ भी न रुठ इनसे ;
की यह भी तो एक चिन्ह है ।
सफलता का न सही;
पर तेरी कोशिश का ;
यह एक चिन्ह है !
रूठेगा भला इनसे तो , ज़रा बता :
"सफर को कैसे करेगा पूरा तू"?
"क्या रुठकर इनसे युही ;
रहेगा अधूरा तू "?
सपने जो देखें हैं ;
उनके बारे में सोच !
और ज़रा बता :
"रूठेगा इनसे भला ;
फिर कैसे कर पाएगा;
उन्हें पूरा तू" ?
"क्या फिर भला ;
खुदको ढूंढ पाएगा ;
पूरी तरह तू"?
छोड़ अब ये सब ;
और अपने सफर पर तू निकल ।
कदम-कदम मिला ज़रा ;
आगे तू, अब बढ़ता ही चल ।
बढ़ता ही चल ।
तू चल ।
चल एक काम कर के देख;
इतिहास की किताबें पढ़कर देख !
गिरना तो,
इतिहास का भी हिस्सा हैना ।
सफर का तेरे;
यह भी तो,
फिर एक हिस्सा हैना ।
इतिहास बनकर,
सिर्फ रह जाना है ;
या, इतिहास रचना है तुझे ?
इस बात का निर्णय ;
अब तू कर ।
यूँ अकेला न बैठ अब तू ।
खड़ा हो ,
चल अब उठ संभल ।
मंज़िल की ओर ;
कदमों को अपने ;
बढ़ाते चल, बढ़ाते चल।
अपने कदमों को;
न रुकने दे तू अब ;
तू चलता बस चल ।
आगे अब बढ़ता ही चल ।
तू चल ।।
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nice motivating work.
Nice👍