मुख़्तलिफ़ किरदार निभाती आयी हूं मैं
तो समझ लिया तुमने मुझे अपनी अमानत?
नहीं थकते तुम कभी प्रभुत्व जताना मुझपे,
पर चलो,नहीं है मेरी कोई खास शिकायत।
तुम्हारी कदमो से ताल मिलाते आयी हूँ हमेशा,
पर तुम में दिखा नही मेरे लिए इतनी सी कदर।
नकारते आये हो मेरी वजूद को शुरू से ही,
पर मैने रखा तुम्हारी वजूद को ,अपने माथे पर।
प्रतिसारी ख़िताबो से संबोधित किया मुझे हमेशा,
केवल अंधेरा मिला,नसीब नही हुआ धूप
कमजोर और अबला पुकारते आये हो अर्सो से,
भूल गए शायद ,नारी है शक्ति का अपार स्वरूप।।
~Ujjal P Sarkar
