
बस यूंही कही दिन ढल जाए,
बस यूंही कही तुम्हरे साथ मन लग जाए,
और बस यूंही कही एक और कहानी अधूरी रह जाए।
ना तुम हो, ना तुम्हारी यादें,
अब बस ये शाम हैं, ये हवा, ये आसमान और मेरे शब्द,
जिनमे मेहेक्ती हो बस तुम
और तुम।
नेहा भरालि। 🌻
Welcome visitors to your site with a short, engaging introduction. Double click to edit and add your own text.